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भोपाल.मध्य प्रदेश के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनने वालेकैलाश जोशी का रविवार सुबह निधन हो गया। वे 91 साल के थे। जोशी करीब तीन साल से बीमार थे, उन्होंने भोपाल के निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका जन्म 14 जुलाई 1929 को देवास जिले की हाटपिपल्या तहसील में हुआ था। वे 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना के बाद ही उसके सदस्य बन गएथे। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली।
कैलाश जोशी 1954 से 1960 तक देवास जिले में जनसंघ के मंत्री रहे। 1955 में वह हाटपीपल्या नगरपालिका के अध्यक्ष बने। 1962 से लगातार 7 विधानसभा चुनाव बागली सीट से जीते। 1980 में भाजपा के गठन के बाद प्रदेश अध्यक्ष बने और 1984 तक इस पद पर रहे।
इमरजेंसी हटने के बाद मध्य प्रदेश के सीएम बने थे
1980 में देश से इमरजेंसी हटने के बाद चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह पराजित होना पड़ा था। मोरारजी देसाई देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने देश की सभी कांग्रेस सरकारों को बर्खास्त करा दिया था। तब मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए। कई विपक्षी दलों के विलय के बाद प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी। जनता पार्टी ने 320 में 231 सीटें जीतीं। तबकैलाश जोशी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इससे पहले वे 1972 से 1977 तक नेता प्रतिपक्ष रहे थे।
राजनेताओं नेशोक व्यक्त किया
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- जोशी ने मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम किया। उन्होंने भाजपा और जनसंघ को मध्य भारत में मजबूत बनाया। उनके परिवार और समर्थकों को
Kailash Joshi Ji was a stalwart who made a strong contribution towards Madhya Pradesh’s growth. He worked hard to strengthen Jan Sangh and BJP in Central India. He made a mark as an effective legislator. Pained by his demise. Condolences to his family and supporters. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 24, 2019
गृह मंत्री ने कहा- मध्यप्रदेश में संगठन विस्तार में जोशी की अहम भूमिका
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। वह एक जमीन से जुड़े नेता थे जो सदैव जनता के हितों के लिए प्रयासरत रहे। म.प्र में संगठन विस्तार में उनकी अहम भूमिका रही। मैं उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ।
— Amit Shah (@AmitShah) November 24, 2019
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दुख जताया
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी जी के दुःखद निधन का समाचार मिला
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) November 24, 2019
मृदभाषी,सरल,सहज व्यक्तित्व के धनी कैलाश जी का निधन राजनीति क्षेत्र की एक अपूरणीय क्षति है
परिवार के प्रति मेरी शोक संवेदनाएँ
ईश्वर उन्हे अपने श्रीचरणो मे स्थान व पीछे परिजनो को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे
कैलाश जोशी जी के दुखद देहान्त के समाचार सुन कर बेहद दुख हुआ। उनकी सादगी उनकी ईमानदारी उनकी कर्मठता सभी को प्रभावित करती रही है। उस से मैं भी अछूता नहीं था। उन्हें हार्दिक श्रद्धांजली। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। जोशी परिवार के प्रति शोक प्रकट करता हूँ।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) November 24, 2019
सादर श्रद्धांजलि !!!
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) November 24, 2019
भाजपा के तपोनिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कैलाश जोशी जी के निधन की सूचना से द्रवित हूँ। बहुत खालीपन सा महसूस हो रहा है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे और परिजनों को ये अपार दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करे।
ॐ शांति! pic.twitter.com/4cnYvmrl5r
पटवा मुख्यमंत्री बने तो कैलाश जोशी नाराज हो गए थे
- 1990 में भाजपा को मध्य प्रदेश में बहुमत मिला और सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री बने थे। इस दौरान जोशी ने नाराज होकर मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था। करीब छह महीने बाद उन्हें मनाकर बिजली मंत्री बनाया गया था। अयोध्या कांड के बाद दिसंबर 1992 में भाजपा सरकार बर्खास्त कर दी गई थी।
- 1998 में कांग्रेस के दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे। इस दौरान चुनाव में भाजपा ने दिग्विजय को उनके गढ़ में घेरने के लिए कैलाश जोशी को उतारा था। यहां से दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह कांग्रेस प्रत्याशी थे। कैलाश जोशी यह चुनाव 56 हज़ार वोट से हार गए थे। इसके बाद भाजपा ने जोशी को राज्यसभा में भेजा।
- 2002 में जब उमा भारती ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया तो अंदरूनी कलह से जूझ रही पार्टी कोबचाने के लिए कैलाश ने जिम्मेदारी संभाली थी। 2004 में उन्होंने भोपाल से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की और ये जीत 2014 तक बरकरार रही। 2014 में जोशी ने आडवाणी को भोपाल से लड़ने का आमंत्रण दिया था। आडवाणी को गांधीनगर (गुजरात) से लड़े, लेकिन जोशी को टिकट नहीं मिला था।
कार तक लोगों ने दी थी गिफ्ट
कैलाश जोशी सादगी पसंद नेता थे, उनके पास अपनी कार तक नहीं थी। 1981 में लगातार 5वीं बार बागली से विधायक बने जोशी का सम्मान कार्यक्रम रखा गया था। अटल बिहारी वाजपेयी और विजया राजे सिंधिया भी इसमें पहुंची थीं। यहां कार्यकर्ताओं ने चंदे से पैसा जुटाकर खरीदी गई एम्बेसडर की चाबी जोशी को भेंट की थी।
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