राजकोट के अस्पताल में 1 महीने में 111 बच्चों की मौत, एनआईसीयू में कम वजन के बच्चों को बचाने की सुविधा नहीं

राजकोट. गुजरात के राजकोट में एक सरकारी अस्पताल में पिछले एक महीने में 111 बच्चों की मौत हो चुकी है। सिविल अस्पताल के चिल्ड्रन हॉस्पिटल की हालत इतनी खराब है कि मरने वाले सभी बच्चे नवजात थे। 111 बच्चों में से 96 प्री-मैच्योर डिलीवरी से हुए थे और कम वजन वाले थे। इनमें से 77 का वजन तो डेढ़ किलो से भी कम था। हॉस्पिटल के एनआईसीयू में ढाई किलो से कम वजन वाले बच्चों को बचाने की व्यवस्थाएं और क्षमता ही नहीं है।

दिसंबर में 386 बच्चे भर्ती हुए, इनमें 111 की मौत हुई
सिविल अस्पताल में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, अस्पताल में 2018 में 4321 बच्चों को भर्ती किया गया था। इनमें से 20.8 प्रतिशत यानी 869 की मौत हो गई। 2019 में, 4701 बच्चे भर्ती हुए और नवंबर तक 18.9% बच्चों की मौत हुई। हालांकि, दिसंबर महीने में भर्ती हुए 386 में से 111 बच्चे बचाए नहीं जा सके। इसके चलते बच्चों की सामूहिक मृत्यु 28% तक पहुंच गई।

एनआईसीयू में 2 बच्चों पर 1 नर्स की जरूरत, सिविल अस्पताल में में 10 के लिए एक नर्स
एनआईसीयू में विशेष नर्सिंग देखभाल, तापमान नियंत्रण, संक्रमण मुक्त हवा की विशेष जरूरत होती होती है। बच्चा अगर कम वजन का है, तो उसके लिए कम से कम एक नर्स और अधिकतम दो नर्स मौजूद होनी चाहिए। हालांकि, राजकोट सिविल अस्पताल में 10 नवजातों के लिए केवल एक नर्स है।

मुझे इस मुद्दे की जानकारी नहीं है, लेकिन मैं आपको इसकी जांच करने के बाद ही सही बात बता सकता हूं।
नितिन पटेल, उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री


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गुजरात के राजकोट में एक सरकारी अस्पताल में एक महीने में 111 बच्चों की मौत हो चुकी है।


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