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गुना(मनीष दुबे). यहां केसंजय स्टेडियम में इन दिनों टी-20 क्रिकेट प्रतियोगिता चल रही है। इसमें देश-प्रदेश की कई क्लबों की टीमें हिस्सा ले रही हैं, इसमें से झांसी के दातार क्लब की टीम काफी चर्चा में हैं।
टीम की खासियत यह है कि इसके सभी खिलाड़ी एक ही परिवार के हैं। 11 में से 7 खिलाड़ी तो सगे भाई है। बाकी चार भी कुटुंबभाई हैं। यदि कोई घायल हो जाए तो परिवार में 5 भाई रिजर्व में हैं,जो उनकी जगह लेने के लिए तैयार हैं। इस कुटुंब क्रिकेट टीम ने सोमवार को दिल्ली के एलबीएस क्लब की मजबूत टीम को एकतरफा मुकाबले में 6 विकेट से मात दी। एलबीएस क्लब में टीम इंडिया के ओपनर शिखर
धवन खेल चुके हैं। वहीं, अंडर 19 भारतीय टीम के कप्तान रहे उन्मुक्त चंद भी इसी क्लब से निकले हैं।
सबसे छोटा खिलाड़ी 15 और सबसे बड़ा 34 साल का
टीम में जीतू और अभिषेक सबसे छोटे हैं, जिनकी उम्र क्रमश: 15 व 16 साल है। जबकि 34 साल के नरेंद्र वरिष्ठतम हैं। जितेंद्र, रूपेश, रिंकू आपस में सगे भाई हैं। इसी तरह उनके दो चाचाओं के बेटे नरेश और अभिषेक,रंजीत और साेनू भी सगे भाई हैं। धर्मेंद्र, विजय, प्रदीप और अंकेश भी कुटुंब भी चाचा-ताऊ के बेटे हैं।
प्रैक्टिस पर हर साल एक लाख रुपए तक खर्च
पारिवारिक टीम के सबसे बड़े भाई नरेंद्र पैसे का हिसाब-किताब रखते हैं। उन्होंने बताया कि जीत की राशि को हम क्रिकेट पर ही खर्च करते हैं। नेट, मैट सहित क्रिकेट की किट और बल्ले आदि की खरीद पर सालाना एक लाख रुपए खर्च हो जाता है। बाकी पैसा अगले साल के लिए बचाकर रखा जाता है,क्योंकि कई बार हमेंइतनी जीत नहीं मिल पाती।
टूर्नामेंट के आयोजक उठाते हैं खर्च
इस टीम का नाम इतना चलता है कि टूर्नामेंट में उनके हिसाब से मैच रखते हैं। मसलन इस समय यह टीम एक साथ दो टूर्नामेंट में खेल रही है। गुना में वे सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं। वहीं,इलाहबाद के पास करबी में चल रहे 1.50 लाख के इनामी टूर्नामेंट में भी उनका सेमीफाइनल खेलना है। गुना के बाद वे उस टूर्नामेंट में खेलेंगे। उन्होंने बताया कि दोनों टूर्नामेंट के आयोजकों से बात करके उन्होंने अपने मैचों की तारीख पहले ही तय कर रखीं थी। टीम के आने-जाने और रुकने का पूरा खर्च आयोजक ही उठाते हैं।
गिल्ली-डंडे के अलावा कोई दूसरा खेल नहीं खेला
टीम के कप्तान रूपेश ने बताया कि सभी भाइयो ने बचपन से गिल्ली-डंडा या अन्य परंपरागत खेलों के अलावा कुछ नहीं खेला। कुछ साल पहले टीवी पर क्रिकेट मैच देखे तो रुझान बढ़ा। छह साल पहले झांसी में एक टेनिस बॉल क्रिकेट टूर्नामेंट देखने पहुंचे। वहीं अपनी टीम भी उतार दी और सेमीफाइनल तक पहुंचे। कुछ समय बाद लेदर बॉल से खेलना शुरू किया।कोई कोच भी नहीं था। टीवी पर क्रिकेट देखते और सीखते।
एक साल में 16 टूर्नामेंट खेले,8 जीते, 2.5 लाख रु. कमाए
रूपेश के मुताबिक, हमारी टीम ने 2019 में कुल 16 टूर्नामेंट खेले, इसमें से 8 जीते। इनमें झांसी की प्रसिद्ध लीग प्रतियोगिता भी शामिल है, जिसमें देशभर की टीमें पहुंचती हैं।ललितपुर और बरूआसागर में 2-2 के अलावा टीकमगढ़, तालबेंहट, मउरानीपुर में 1-1 टूर्नामेंट जीता। बाकी 8 टूर्नामेंटसेमीफाइनल तक पहुंचे। हम 2019 में कुल 2 लाख की प्राइज मनी जीत चुके हैं। इसके अलावा व्यक्तिगत प्रदर्शन के लिए मिलने वाली राशि अलग है। अगले 4 महीने के दौरान 25 टूर्नामेंट में कम से कम 100 मैच खेलने हैं।
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