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नई दिल्ली. निर्भया केस में चारों दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी देने का डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। इसके बावजूद चारों गुनहगार अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह, विनय शर्मा और पवन गुप्ता मान रहे हैं कि उस दिन (1 फरवरी) भी फांसी नहीं होगी। चारों में से किसी ने भी तिहाड़ जेल प्रशासन को यह नहीं बताया है कि फांसी से पहले वह किस परिजन से और कब मिलना चाहते हैं। यह भी नहीं बताया कि वह कोई वसीयत करना चाहते हैं या नहीं। डीजी जेल संदीप गोयल ने बताया कि पत्र सौंपने के एक हफ्ते बाद भी दोषियों ने कोई जवाब नहीं दिया है।
जेल की कोठरी से एक-डेढ़ घंटे ही निकल पाते हैं दोषी
निर्भया के चारों गुनहगार जेल नंबर 3 की हाई सिक्योरिटी सेल की अलग-अलग कोठरियों में हैं। दूसरे कैदियों से तो दूर ये लोग आपस में भी नहीं मिल पाते। दिन में एक-डेढ़ घंटे के लिए ही इन्हें कोठरियों से निकाला जाता है। चारों एक साथ नहीं निकाले जाते।
डेथ वॉरंट जारी करने वाले जज का तबादला
निर्भया के दोषियों का डेथ वारंट जारी करने वाले सेशन जज एसके अरोड़ा डेपुटेशन पर सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में भेजे गए हैं। निर्भया के माता-पिता की याचिका वही सुन रहे थे। अब नए जज यह केस सुनेंगे।
पवन की याचिका खारिज
20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्मी पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने वारदात के वक्त खुद के नाबालिग होने का दावा किया था। कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई नया आधार नहीं है। पवन के वकील एपी सिंह ने दावा किया था कि इस मामले में बहुत बड़ी साजिश है। दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर पवन की उम्र संबंधी दस्तावेजों की जानकारी छिपाई है। वारदात के वक्त पवन की उम्र 17 साल, 1 महीने और 20 दिन थी। ऐसे में वारदात में उसकी भूमिका नाबालिग के तौर पर देखी जाए।
3 दोषियों के पास5 विकल्प
1) पवन, मुकेश, अक्षय और विनय शर्मा की फांसी के लिए दूसरी बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। इसमें फांसी की तारीख 1 फरवरी मुकर्रर की गई है। पहले वॉरंट में यह तारीख 22 जनवरी थी। दोषी पवन के पास अभी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प है। यही विकल्प अक्षय सिंह के पास हैं। विनय शर्मा के पास भी दया याचिका का विकल्प है। दोषी मुकेश के पास अब कोई कानूनी विकल्प नहीं है। यानी तीन दोषी अभी 5 कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
2) फांसी में एक और केस अड़चन डाल रहा है। वह है सभी दोषियों के खिलाफ लूट और अपहरण का केस। दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं होता जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती।
3) जिन दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं, वे तिहाड़ जेल द्वारा दिए गए नोटिस पीरियड के दौरान इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। दिल्ली प्रिजन मैनुअल के मुताबिक, अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी दी जानी है तो किसी एक की याचिका लंबित रहने तक सभी की फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी। निर्भया केस भी ऐसा ही है, चार दोषियों को फांसी दी जानी है। अभी कानूनी विकल्प भी बाकी हैं और एक केस में याचिका भी लंबित है। ऐसे में फांसी फिर टल सकती है।
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