मुंबई.दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे धरना, प्रदर्शन के दौरान नवजात की मौत को लेकर 10 साल की जेन गुणारत्न सदावर्त ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी है। आग के दौरान 17 लोगों की जान बचाने वाली जेन को हाल ही में वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उसने शाहीन बाग में 4 महीने के बच्चे की मौत से आहत होकर चीफ जस्टिस एसए बोबडे को चिट्ठी लिखी है।
चिठ्ठी में लिखा-इस घटना ने हिलाकर रख दिया
सीजेआई को लिखी 5 पन्नों की चिट्ठी में जेन ने लिखा है- इस घटना ने उन्हें एक नागरिक के रूप में हिलाकर रख दिया है। अनुच्छेद 21 के तहत 4 महीने के बच्चे के जीवन को अधिकार का उल्लंघन किया गया, जो अपनी मां के साथ हर दिन शाहीन बाग में प्रदर्शन के लिए गया था। इस चिट्ठी को याचिका भी माना जा सकता है। ऐसे में बच्चों और नवजात को प्रदर्शन और आंदोलन में शामिल होने से रोकने के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
पुलिस भी नाकाम रही
पुलिस भी बच्चे को प्रदर्शन में शामिल होने से रोकने में नाकाम रही, जबकि यह उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक था। पुलिस को बच्चे की मौत के कारणों की जांच करनी चाहिए। उसने कथित लापरवाही के लिए बच्चे के माता-पिता आरिफ व नाजिया, दिल्ली पुलिस और शाहीन बाग के आयोजकों को दोषी ठहराने की भी मांग की है। जेन के माता-पिता ने कहा कि जेन शाहीन बाग का विरोध नहीं कर रही, बल्कि उसने बच्चों के दर्द को उजागर किया है, क्योंकि वे अपना दर्द नहीं जता सकते। यह यातना और क्रूरता है।
17 लोगों को आग से बचाने पर मिला है वीरता अवॉर्ड
10 साल की जेन मुंबई में रहती है और डॉन बॉस्को इंटरनेशनल स्कूल, माटुंगा में सातवीं कक्षा में पढ़ती है। उसे राष्ट्रपति ने इसी साल ‘राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार’ से सम्मानित किया है। जेन ने मुंबई के क्रिस्टल टॉवर में आग लगने के दौरान 17 लोगों की जान बचाई थी। जेन के स्कूल में बच्चों को आगजनी, भूकंप और अन्य प्राकृतिक हादसों से निपटना सिखाया गया था। ऐसे में क्रिस्टल टॉवर में आग के दौरान जेन ने उन्हीं तरीकों को अपनाया और 17 लोगों की जान बचा ली। इसी के लिए उन्हें वीरता पुरस्कार दिया गया।
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