जल्द घर बैठे ही व्यक्ति कोरोना संक्रमण के लक्षणों की सही पड़ताल कर सकेगा। भारत समेत करीब 38 देशों के 500 वैज्ञानिकों ने एक प्रश्नावली तैयार की है। इससे आसानी से पता चल सकेगा कि किसी को कोविड-19 बीमारी है या आम फ्लू।दरअसल, दोनों बीमारियों के लक्षण कई मामलों में एक से हैं। इसलिए यह भांप पाना मुश्किल होता है कि कोविड का टेस्ट कराने की जरूरत है या नहीं।
वैज्ञानिकों ने जिस प्रश्नावली को तैयार किया है, वह एक तरह का सर्वे है। इसमें आपके किचन में उपलब्ध मसालों और बूटियों को चखकर आपको जवाब देना होगा। इसी के आधार पर परिणाम पता चलेगा।
डॉक्टरों का समूह सूंघने-स्वाद की शक्ति कम होने की थ्योरी पर काम कर रहा
भारत से सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट ऑर्गेनाइजेशन (सीएसआईओ) के डॉ. रितेश कुमार, डॉ. अमोल पी. भोंडेकर और डॉ. रिशमजीत सिंह भी इस समूह में काम कर रहे हैं। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज और आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिक भी इसका हिस्सा हैं। समूह सांस की बीमारी होने पर सूंघने और स्वाद आने की शक्ति कम होने की थ्योरी पर काम कर रहा है।
संक्रमण में 30% मामलों में स्वाद और गंध लेने की क्षमता पर असर पड़ता है
इन दिनों रॉयल सोसायटी की फैलोशिप पर यूके में मौजूद डॉ. रितेश ने बताया कि सार्स के बाद दक्षिण कोरिया ने सबसे पहले इस पर स्टडी की थी। उसमें पता चला था कि ऐसे संक्रमण में 30% मामलों में स्वाद और गंध लेने की क्षमता पर असर पड़ता है। जिन देशों में एथिकल क्लीयरेंस मिल चुकी है, वहां अस्पतालों में भी इसे लागू किया जा चुका है। भारतीय वैज्ञानिकों ने भी सूंघने की क्षमता को चेक करने के लिए प्रश्नावली और एप तैयार किया है।
अप्रूवल का इंतजार
इसे भारत में लागू करने के लिए एथिकल अप्रूवल का इंतजार है। करीब डेढ़ दशक से स्वाद और सुगंध से जुड़े सेंसर पर काम कर रहे डॉ. अमोल ने बताया कि अप्रूवल के बाद इस प्रश्नावली या एप को भारत सरकार के आरोग्य सेतु के साथ जोड़ेंगे।
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